कौरव की भी गति मति मारी।युध्द महाभारत करि डारी॥
रवि कहं मुख महं धारि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना। गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धाारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्तिा उपजावैं॥
गर्दभहानि करै बहु काजा। सिंह सिध्दकर राज समाजा॥
जम्बुक बुध्दि नष्ट करि डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहिं चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा॥
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं। धान सम्पत्तिा नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्रा नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्राु के नशि बल ढीला॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई। विधिावत शनि ग्रह शान्ति कराई॥
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
प्रतिमा श्री शनिदेव की, लौह धातु बनवाय।
प्रेम सहित पूजन करै, सकल कष्ट कटि जाय॥
चालीसा नित नेम यह, कहहिं सुनहिं धारि धयान।
निश्चय शनि ग्रह सुखद ह्वै, पावहिं नर सम्मान॥ http://shanitemple.blogspot.com/
रवि कहं मुख महं धारि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना। गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धाारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्तिा उपजावैं॥
गर्दभहानि करै बहु काजा। सिंह सिध्दकर राज समाजा॥
जम्बुक बुध्दि नष्ट करि डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहिं चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा॥
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं। धान सम्पत्तिा नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्रा नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्राु के नशि बल ढीला॥
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई। विधिावत शनि ग्रह शान्ति कराई॥
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
प्रतिमा श्री शनिदेव की, लौह धातु बनवाय।
प्रेम सहित पूजन करै, सकल कष्ट कटि जाय॥
चालीसा नित नेम यह, कहहिं सुनहिं धारि धयान।
निश्चय शनि ग्रह सुखद ह्वै, पावहिं नर सम्मान॥ http://shanitemple.blogspot.com/